आइसोलेशन में रहे शख्स से जानिएकोरोना वायरस के संक्रमण से किसी की मृत्यु होने के बाद उसके शव का प्रबंधन कैसे किया जाए और क्या सावधानियां बरती जाएं, इस बारे में भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं। हाल ही में राजधानी दिल्ली में एक बुजुर्ग महिला की कोरोना के कारण मृत्यु होने के बाद लोगों में यह भ्रम देखने को मिला था कि उनके शव के अंतिम संस्कार से आनंद भी संक्रमण फैल सकता है। हालांकि इस घटना के बाद दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग ने यह दावा किया कि शव के अंतिम किए संस्कार से कोरोना वायरस नहीं फैलता और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के दखल के बाद चिकित्सकों की एक टीम कैसा होता है अलग-थलग की निगरानी में महिला का अंतिम उसी संस्कार किया गया था। क्या इस पूरे मामले को देखते हुए बहुत ही भारत सरकार ने नेशनल सेंटर फैलताफॉर डिजीज़ कंट्रोल स्टाफ़ (एनसीडीसी) की मदद से ये मरे व्यक्ति दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। लिखी बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य शव मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी एक तरह ने एनसीडीसी के हवाले से कहा बड़ा चश्माकि जिस तरह की गाइडलाइन का परामर्श निपाह वायरस के संक्रमण के मरीज़ समय जारी की गई थीं, ष्टहहृष्ठ- से हटाई 19 के लिए उन्हीं में कुछ बदलाव के रिसाव एक नई बीमारी है और वैज्ञानिकों के स्टाफ़ इसकी सीमित समझ है। इसलिए पदार्थ संबंधित जो समझ अब तक हमारे पास है, रखा जाए-थलग रहना रहना एक सलाह पत्रकार उसी के आधार पर ये गाइडलाइंस तैयार की गई हैं। क्या हैं गाइडलाइंस - दिशा-निर्देश में इस बात पर बहुत जोर दिया गया है कि COVID-19 हवा से नहीं फैलता, बल्कि बारीक कणों के जरिए फैलता है। मेडिकल स्टाफ़ से कहा गया है कि वो कोविड-19 के संक्रमण से मरे व्यक्ति के शव को वॉर्ड या आइसोलेशन रूम से नीचे लिखी गईं सावधानियों के साथ ही शिफ्ट करें शव को हटाते समय पीपीई का प्रयोग करें। पीपीई एक तरह का मेडिकल सूट है जिसमें मेडिकल स्टाफ को कहा बड़ा चश्मा, एन95 मास्क, दस्ताने और ऐसा एप्रन पहनने का परामर्श दिया जाता है जिसके भीतर पानी ना जा सके। मरीज़ के शरीर में लगी सभी ट्यूब बड़ी सावधानी से हटाई जाएं। शव के किसी हिस्से में घाव हो या खून के रिसाव की आशंका हो तो उसे ढंका जाए। मेडिकल स्टाफ़ यह सुनिश्चित करे कि शव से किसी तरह का तरल पदार्थ ना रिसे। शव को प्लास्टिक के लीक-फफ बैग में रखा जाए। उस बैग को एक प्रतिशत हाइपोक्लोराइट की मदद से कीटाणुरहित बनाया जाए। इसके बाद ही शव को परिवार द्वारा दी गई सफेद चादर में लपेटा जाए। केवल परिवार के लोगों को ही कोविड-19 के संक्रमण से मरे व्यक्ति का शव दिया जाए। कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के इलाज में इस्तेमाल हुई ट्यूब और अन्य मेडिकल उपकरण, शव को ले जाने में इस्तेमाल हुए बैग और चादरें, सभी को नष्ट करना ज़रूरी है। मेडिकल स्टाफ को यह दिशा-निर्देश मिले हैं कि वे मृतक के परिवार को भी ज़रूरी जानकारियां दें और उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए काम करें। शवगृह से जुड़ी गाइडलाइंस : भारत सरकार के अनुसार कोविड-19 से संक्रमित शव को ऐसे चेंबर में रखा जाए जिसका तापमान करीब 4 डिग्री सेल्सियस हो। शवगृह को साफ़ रखा जाए और फर्श पर तरल पदार्थ ना हो। कोविङ-19 से संक्रमित शव की एम्बामिंग पर रोक है यानी मौत के बाद शव को सुरक्षित रखने के लिए उस पर कोई लेप नहीं लगाया जा सकता।
कोरोना वायरस से मौत होने पर शव से कितना खतरा?